Toll Tax : जब भी आप हाइवे पर सफर करते हैं तब आप टोल कैसे चुकाते हैं? ज्यादातर आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए फास्टैग से टोल का भुगतान करते हैं। और इससे पहले हमने नकद भुगतान करके टोल चुकाया था। लेकिन अब जल्द ही फास्टैग तकनीकी भी इतिहास बन जाएगी। और अब एक नई तकनीकी के जरिए टोल का भुगतान किया जा सकेगा जो है ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा’ तकनीक।

आपको बता दे की अब टोल प्लाजा पर वाहनों की नंबर प्लेट पहचान होगी और अपने आप ऑटोमेटिक प्रणाली से टोल वसूला जाएगा। इस प्रणाली का केंद्र सरकार ने शुरुआती तौर पर पायलट परीक्षण भी शुरू कर दिया है।
सरकार का मानना है कि इससे टोल प्लाजा पर वाहनों की भीड़ में गिरावट आएगी और जो वाहन हाईवे पर जितना चलेगा, ठीक उतना ही शुल्क उससे वसूला जाएगा इससे टोल में भी कठोती होगी, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईएसीसी) की 19वीं इंडो-यूएस इकोनॉमिक समिट में यह जानकारी दी है।
क्या है ‘ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा’ तकनीक
गडकरी जी ने बताया कि परीक्षण की जा रही टोल वसूलने की नई प्रणाली ‘ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा’ तकनीक पर आधारित है। और बता दे की इसमें शुल्क वसूलने के लिए वाहन को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होती और ऑटोमेटेड टोल प्लाजा पर लगे कैमरे ही नंबर प्लेट देखकर टोल वसूल लेंगे। नितिन गडकरी जी ने कहा कि इससे काफी फायदा होगा और यातायात बिना रुके या धीमा हुए, चलता रहेगा और जो वाहन हाईवे पर जितना चलेगा, उतना ही शुल्क लगेगा।
क्या है इस प्रणाली को लागू करने का लक्ष्य ?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, हम इस नयी तकनीक के साथ दो उद्देश्यों को हासिल करना चाहते हैं।
- पहला टोल बूथ पर यातायात की बेरोकटोक आवाजाही से चलता रहे.
- दूसरा वहां चालकों को उपयोग के अनुसार ही भुगतान हो।
टोल बूथ पर अभी लगता है समय
आपको यह ज्ञात होगा कि टोल प्लाजा पर 2018-19 के दौरान वाहनों का औसत प्रतीक्षा समय पहले आठ मिनट था क्योकि कैस में भुगतान होता था तो समय में देरी होती थीऔर उस समय व्हीकल कम थे तो लाइन भी उसी तरह कम थी।
लेकिन धीरे धीरे यातायात बढ़ने लगे लाइन बढ़ने लगी फिर फास्टैग की शुरुआत के साथ 2020-21 और 2021-22 के दौरान वाहनों के लिए औसत प्रतीक्षा समय घटकर 47 सेकेंड हो गया है। हालांकि, शहरों के पास और घनी आबादी वाले इलाकों में व्यस्त समय के दौरान टोल प्लाजा पर अब भी कुछ देरी होती है। लेकिन आने वाले समय में वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है और इसलिए नई प्रणाली की आवश्यकता है.