Solar Storm :- नई दिल्ली। सूरज की लपटों से उत्पन्न हुआ एक शक्तिशाली सौर तूफान 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर आ रहा है. मंगलवार या बुधवार को यह धरती के ऊपरी वायुमंडल से टकरा सकता है ऐसी संभावना जताई जा रही है. इसका सीधा असर मोबाइल सिगनल,जीपीएस नेटवर्क और सेटेलाइट पर पड़ सकता है. दुनिया के कई हिस्सों के पावर ग्रिड भी इस सौर तूफान से बाधित हो सकते हैं. अमेरिका के मौसम विभाग के अनुसार इस तूफान के कारण एक बड़े इलाके में हाईफ्रेक्वेसिंग रेडियो कम्युनिकेशन 1 घंटे के लिए बाधित हो सकता है. सबसे पहले इस स्थान का पता 3 जुलाई को लगाया गया था. इस तूफान के निकलने पर अमेरिका में थोड़े समय के लिए डाटा कम्युनिकेशन में दिक्कतें शुरू हो गई थी.
कहां कहां पड़ेगा असर
इस सौर तूफान का असर जीपीएस सिगनल, मोबाइल नेटवर्क, सेटेलाइट टीवी, ऑटोमेटिक कार,टैक्सी,प्लेन सेवा आदि पर हो सकता है. धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर नार्दन सर्दन लाइट्स की मात्रा और फ्रीक्वेंसी बढ़ सकती है.
सौर तूफान आने के कारण
वैज्ञानिकों की मानें तो प्रत्येक 11 वर्ष में सूर्य की सतह के हलचल और विस्फोट से भारी विकिरणे बाहर निकलती है जो अंतरिक्ष में बड़ा सौर तूफ़ान लाने की क्षमता रखते हैं. साल 2019 से इनका नया चरण शुरू हुआ है यह जुलाई 2025 तक यह चरम पर पहुंचेगां मौजूदा सौर तूफान भी इसी के कारण है.
पहले भी आ चुके हैं ऐसे तूफान
1972 में आये सौर तूफ़ान से भी कई देश में बिजली और संचार सेवाओं को नुकसान हुआ था. अमेरिकी नौसेना द्वारा उत्तरी वियतनाम के समुद्र में लगाई चुंबकीय प्रभाव से फटने वाली खदान भी अपने आप फट गई थी.
1989 में कनाडा के क्यूबक में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट होने से करीब 60 लाख लोग 9 घंटे तक बिना बिजली के रहे.
2003 में 19 अक्टूबर से 5 नवंबर तक अमेरिका में कई बार इन सौर तूफानों से रेडियो सेवा ठप हुई जिसे रेडियो ब्लैकआउट कहां गया.