रुपया पहुंचा अपने सबसे निचले स्तर पर
भारतीय रुपये की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है। आज भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के साथ ट्रेड करते हुए 80.2 पर पहुंच गया था अर्थात एक अमेरिकी डॉलर 80.2 भारतीय रुपयों के बराबर हो गया है। अगर एक्सपर्ट्स की माने तो रुपया अभी और भी निचे गिर सकता है और यह भारत की इकोनॉमी के लिए एक बुरी खबर है।
जेएनयू में अर्थशास्त्री रहे प्रोफेसर खुशवंत कुमार ,रोहित यादव और भूपेश शर्मा कहते है की अगर भारतीय इकॉनामी को महंगाई व् बेरोजगारी से बचाना है तो रूपये की कीमत को गिरने से रोकना होगा , अगर ऐसा नहीं किया गया तो महंगाई के साथ साथ भारत में बेरोजगारी भी अपने चरम सीमा पर पहुंच जाएगी। भारत में अभी भी बेरोजगारी बहुत अधिक बढ़ चुकी है।

आयात हो जायेगा महंगा
इंदिरा गाँधी यूनिवर्सिटी के जाने माने अर्थशास्त्री मोहित शर्मा ,कर्मवीर पाली और विजय कुमार एक साक्षात्कार में बताते है कि रूपये की कीमत का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरना भारत के आयात को और महंगा कर देगा। भारत कच्चे तेल का 85% आयात करता है। हमारा ट्रेड बैलेंस अभी बहुत नेगेटिव है या इसे ऐसे समझा जा सकता है की जब भारत बाकि देशो के साथ ट्रेड करता है तब हम आयात ज्यादा करते है और निर्यात कम।
अगर पिछले महीने की बात की जाये तो भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा ट्रेड डेफिसिट हुआ है। अगर समय रहते रूपये को गिरने से नहीं रोका गया तो सबसे ज्यादा इसका प्रभाव भारत की आम जनता पर पड़ेगा।