
आइये खबरों को जानते है,थोड़े बिस्तार से ब्रिटिश सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया की महारानी लक्ष्मी बाई को 60000 रुपये का पैंसन दिया जाए परंतु रानी लक्ष्मी बाई को यह निर्णय गलत लगा ईस्ट इंडिया कंपनी की इस बात को ठुकरा दिया रानी लक्ष्मी बाई ने और इसी के बाद उन्होने अपने सैन्य शक्ति को और भी ज्यादा मजबूत करने के तरफ अपना पूरा ध्यान दिया।

रानी लक्ष्मीबाई एक योद्धा रानी थीं जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह में भारतीय सैनिकों की एक सेना का नेतृत्व किया था। उन्हें भारत के महानतम नायकों में से एक माना जाता है, और उनकी महाकाव्य कहानी कई इतिहास पुस्तकों में शामिल है। रानी लक्ष्मी बाई ने आखिरी सास तक इस देश का ही बस काम किया और अंत मे अपनी जान भी दे दिया !
1825 के आसपास, ईस्ट इंडिया कंपनी ने उत्तर और मध्य भारत के अधिकांश हिस्से पर अधिकार कर लिया। ब्रिटिश सरकार ने इसमें बहुत कम दिलचस्पी दिखाई थी।
यह लेख उन 7 कदमों का पता लगाएगा जो उसने इस समय से पहले इतने विशाल क्षेत्र पर सीधे शासन करते हुए अपनी शक्तिशाली लड़ाई बनाने के लिए उठाए थे, लेकिन अब उन्होंने फैसला किया कि उनके भारतीय पर अधिक प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना आवश्यक था। उनका निर्धन 23 साल मे ही हम भारतीयो को छोर कर चली गयीरानी लक्ष्मी बाई के अनुसार उसने अपनी खुद की सेना बनाने के लिए 7 कदम अपनाए:
1) गोरिल्ला युद्ध तकनीक जैसी रणनीति। यह आधुनिक युद्ध था जो उसके सैनिकों में एकता की भावना को स्थापित कर रहा था। वह गाँव-गाँव जाकर इस उद्देश्य का प्रचार करती थी और लोगों से आग्रह करती थी कि वे ब्रिटिश उत्पीड़कों के खिलाफ सेना में शामिल हों और उन्हें प्रशिक्षित करें।
2) बाहरी ताकतों के हमले के कम जोखिम वाले क्षेत्र में शिविर स्थापित करें।
3) पांच या अधिक लोगों के दस्ते की भर्ती करें।
4) उसने अपने सबसे भरोसेमंद सलाहकारों की सेवाओं की भर्ती करके उन्हें प्रशिक्षित किया और अपनी सेना के भीतर प्रत्येक रैंक के लिए कमांड की एक श्रृंखला बनाई।
5) फिर उसने अपनी युद्धक शक्ति बढ़ाने के लिए और भी बहुत से पुरुषों की भर्ती की।
6) युद्ध के लिए बड़े पैमाने पर और सख्ती से प्रशिक्षण लें, विशेष रूप से उन हथियारों में जिन्हें आप अक्सर उपयोग करने की योजना बनाते हैं। ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
7) सही योग्यता वाले वफादार सलाहकारों की भर्ती भी किया।ऐसा करने के लिए,उन्होंने नई नीतियां पेश कीं जिससे करों में वृद्धि हुई और स्थानीय शासकों की शक्ति पर अंकुश लगाने की मांग की गई।
रानी लक्ष्मी बाई सहित कई भारतीयों ने इन नीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी ब्रिटिश अधिपति (जैसा कि वे पहले थे) पर अपने स्वयं के भारतीय प्रमुखों को प्राथमिकता देते थे।इस विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई एक प्रमुख खिलाड़ी थीं।
उसने युद्ध में सैनिकों का नेतृत्व किया और यहां तक कि 60,000 ब्रिटीसस को भी हराया आज भी रानी लक्ष्मी बाई का नाम किस कोई भी भारतीय नारी ही गर्व के साथ लिया करता है,चाहे वो हिन्दी हो या मुस्लिम क्यो की उनकी जीवन की गाथा ही था।
ऐसा वो एक महिला रुप मे तो थी ही पर उनका काम मर्दो से कम नही है,इसी के साथ एक उनका poem है,‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी, यह poem उनकी यादों को और भी नजदीक लाने का काम करती है।