
ट्यूबलेस टायर की तेजी से मार्केट में मांग बढ़ रही है। इन दिनों अधिकतर गाड़ियों और बाइक्स में ट्यूबलेस टायर का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसा कि नाम से ही पता लग रहा है कि ट्यूबलेस टायर में ट्यूब नहीं होती है। यह दिखने में एक पारंपरिक टायर जैसा ही होता है। टायर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उसमें हवा अपने आप समा सके। पंक्चर होने की स्थिति में इसमें से हवा भी धीरे-धीरे बाहर निकलती है। साथ ही बिना टायर निकाले ही आप पंक्चर बनवा सकते हैं। इतने फायदे होने के साथ ट्यूबलेस टायर के नुकसान भी बहुत होते हैं। अगर आप भी अपनी कार या बाइक में यह टायर लगवाने का विचार कर रहे थे, तो पहले इसके 3 नुकसान के बारें में जान लीजिए-
पारंपरिक टायर से महंगा
ट्यूबलेस टायर पारंपरिक टायरों के मुकाबले एक्सपेंसिव होते हैं। इनका मूल्य ब्रांड और साइज के हिसाब से अलग-अलग होती है। हालांकि, कीमत के साथ इसकी क्वालिटी भी अच्छी होती जाती है, ऐसे में आप कम पैसो के चक्कर में कोई खराब ट्यूबलेस टायर न खरीद लेना।
फिट करना मुश्किल
ट्यूबलेस टायरों को फिट करने या निकलाने के लिए एक्सपर्ट की जरुरत होती है। ट्यूबलेस टायर काफी मजबूत होते हैं, लेकिन कभी न कभी तो इन्हें चेंज करने की आवश्यकता होगी। जो इसके बारे में अधिक नहीं जानते वह टायर बदलने के चक्कर में रिम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं पारंपरिक टायर को बदलने का तरीका बेहद ईजी होता है।